> जाति और धर्म संबंधित कैसे टकराव वाले अनुभव देशवासियों के बीच उत्पन्न हो रहे हैं।

जाति और धर्म संबंधित कैसे टकराव वाले अनुभव देशवासियों के बीच उत्पन्न हो रहे हैं।


जाति और धर्म संबंधित कैसे टकराव वाले अनुभव देशवासियों के बीच उत्पन्न हो रहे हैं।



जाति और धर्म


भारत, एक विविधता से भरपूर देश है, जिसमें विभिन्न जाति और धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। इस विविधता और भारतीय समाज के सामाजिक संरचना में जाति और धर्म का महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन आजकल, इस विविधता को लेकर कुछ चिंताओं का सामना किया जा रहा है, जिसका परिणाम यह है कि देश में जाति और धर्म संबंधित अनमोल अनुभव देशवासियों के बीच उत्पन्न हो रहे हैं।

देश में जाति और धर्म के आधार पर लोगों के बीच सामाजिक भेदभाव का अनुभव हो रहा है। यह सामाजिक न्याय और समानता के असामाजिक परिपेक्ष्य में आधारित अन्याय का कारण बन रहा है, जाति और धर्म के आधार पर सियासी खेल खेले जाने का अनुभव हो रहा है। राजनीतिक दल सामाजिक और धार्मिक प्रतिस्पर्धा को उत्तेजक बनाए रखने का प्रयास करते हैं, जिसका परिणाम सामाजिक विभाजन को और भी गहरा बना रहा है।

जाति  और धर्म के आधार पर शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में भी भेदभाव का अनुभव हो रहा है।विशिष्ट जाति और धर्म से संबंधित व्यक्तियों को सामाजिक सुविधाएं और अवसरों में अधिक समर्थन मिलने का आलोचनात्मक तरीके से आता है, जबकि अन्यों को अल्पसंख्यक के रूप में अनदेखा किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, जाति और धर्म से संबंधित विवादों और तनावों का महसूस हो रहा है। जिसका परिणाम है कि समाज में अधिक द्विभाजन और संघर्ष देखने को मिल रहा है।

देश में जाति और धर्म के आधार पर होने वाले अनमोलानुभव को दूर करने के लिए हमें समरसता, सामाजिक समानता, और शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह हमारे देश की सामाजिक सुधार के दिशा में मदद करेगा और एक समृद्ध और सामर्थ भारत की ओर कदम बढ़ाएगा।


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अब कुछ  UNTOLD   


इतनी चोटें खाता रहा, ए जिन्दगी, क्या तेरे खेल में चल रहा है।,🌹
 तबाहियों में ख्वाब सजाता चला,🌹🌹
 यूं तो वर्षों से एक आदा खुशी  के लिए तरसता रहा, 🌹
बस यूं ही चलता चला ,ना हिम्मत हारी और ना ही उम्मीद🌹,
डोर है मुश्किल, फिर नये अफसाना लिखता चला।।।🌹🌹



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