अपनी प्यारी देवभूमि उत्तराखंड, पहाड़ों का देश, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के पहाड़ी गांवों में अनगिनत देवतावों के मंदिर हैं, उत्तराखंड राज्य भी इसी दृष्टि से समृद्ध है, और वहाँ के मंदिर उनके प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं, जो रेपणी, पुणी, डांसू, सुपारी, गवा, डेवा, क्वीली, रूमड़, सुरओला, छुइयारा, तोताल, डुन्डी, पट्टी, घूमक्यू, और बहुत से और छोटे-बड़े गांव हैं जो तेहरी गढ़वाल जिले में स्थित हैं। इन गांवों में पर्यटकों को अपनी अद्वितीय सौंदर्य, स्थानीय संस्कृति, और प्राकृतिक विविधता का आनंद लेने का अवसर मिलता है,जिनमें से एक है 'घण्डियाल देवता' का मंदिर, यह घंटाकर्ण धाम, पांचवे धाम से भी जाना जाता है ,यह प्रसिद्ध मंदिर टिहरी गढ़वाल जिले के पट्टी-क्वीली,गजा नामक गावं में स्थित है ,इसका पैदल मार्ग गजा से आगे चाका के लवा गावं से भी है ,यहां प्र्त्येक वर्ष Ghandiyal Devta की जात, यानि (धार्मिक यात्रा ) दी जाती है।
जय श्री घंटाकर्ण धाम, पट्टी-क्वीली, गजा, तेहरी गढ़वाल: एक Ghandiyal Devta की जात
उत्तराखंड राज्य, जिसे "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत स्वरूप धारण करता है। यहाँ की पहाड़ियाँ, नदियाँ, और वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध हैं, और यहाँ के गांव अपने पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित हैं, तेहरी जिला भी इस धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
घण्डियाल देवता कौन हैं?:
घण्डियाल देवता उत्तराखंड के तेहरी गढ़वाल जिले के प्रमुख देवता माने जाते हैं। वे गर्हवाल समुदाय के प्राचीन देवता माने जाते हैं और उनके मंदिर का स्थानिक महत्व है। घण्डियाल देवता के पूजारी मूल रूप से ब्राह्मण होते हैं और वे इस मंदिर की पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं।
घण्डियाल देवता का मंदिर:
Ghandiyal Devta का प्रसिद्ध मंदिर , जिसे 'घंटाकर्ण धाम मंदिर' भी कहा जाता है, तेहरी गढ़वाल जिले में स्थित है। यह एक पावन तपस्या स्थल है, जिसे सन् 2003 में श्री घंटाकर्ण धाम नामक विशाल मंदिर का निर्माण किया गया था। यहाँ के महादेव ध्यान केंद्र ने इसे एक मानसिक और आध्यात्मिक साधना स्थल के रूप में बनाया है, और यहाँ के महादेव मंदिर उपवास और ध्यान करने वालों के लिए एक प्रमुख स्थल है।
घंटाकर्ण धाम मंदिर में लगभग 150 फीट ऊंचे महादेव की प्रतिमा है, जिसे महादेव की विशेष श्रद्धा रखने वाले यात्री जो प्रतिवर्ष यहाँ आते हैं, श्रद्धांजलि चढ़ाते हैं। मंदिर के पास ही एक छोटा सा तालाब है, जिसे 'भैरव ताल' कहा जाता है, और वहाँ के यात्री निर्मल जल स्त्रोत के रूप में इसे मानते हैं। यहाँ भीमसेन की शिला और उनकी मूर्ति भी देखने को मिलती है।
मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में एक बड़ा मेला आयोजित होता है, जिसमें बड़ी संख्या में यात्री भाग लेते हैं। यहाँ पर लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पूजा और ध्यान करते हैं, और धार्मिक गीतों और भजनों के साथ महादेव का आराधना करते हैं। तपस्या के साथ यहाँ के यात्री अपने जीवन को एक नई दिशा देते हैं और आत्मा को शांति का अनुभव करते हैं।
मंदिर का इतिहास:
घण्डियाल देवता का मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। इस मंदिर की निर्माण की तारीख स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसके पास कई कदमी संकेत हैं। मंदिर ने अपनी उत्तराखंड की स्थानीय परंपरा के अनुसार देवभूमि में अपनी उत्पत्ति की। इसका निर्माण खड़का पत्थर से किया गया था।
मंदिर का महत्व:
Ghandiyal Devta का मंदिर तेहरी गढ़वाल क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यहाँ के लोग अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में भी मंदिर का संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मंदिर में विशेष धार्मिक आयोजन हर महिने और हर साल किए जाते हैं, जिनमें भक्त बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम आरती की जाती है, और भक्त वहाँ पर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। मंदिर के पूजारी दिन-रात उसका संरक्षण करते हैं और भक्तों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखते हैं।
घण्डियाल देवता मंदिर में आयोजित त्योहार:
Ghandiyal Devta मंदिर में वर्ष में दो बार महत्वपूर्ण त्योहर मनाए जाते हैं।
पहला त्योहार 'ज्योळा' होता है, जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन घण्डियाल देवता की प्रतिमा को सोने के पात्र में बसाकर विशेष पूजा की जाती है और भक्तों के बीच एक महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
दूसरा महत्वपूर्ण त्योहार 'सोमेश्वर महोत्सव' होता है, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भक्त अपने परिवार के साथ घण्डियाल मंदिर जाते हैं और वहाँ पर ध्यान और पूजा करते हैं।
Ghandiyal Devta मंदिर में ज्यादातर त्योहार धार्मिक और परंपरागत होते हैं, जिनमें भक्तों की भक्ति को महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है।
महत्वपूर्ण पूजा आयोजन: घंटाकर्ण धाम मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम आरती की जाती है, और भक्त वहाँ पर अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। मंदिर के पूजारी दिन-रात उसका संरक्षण करते हैं और भक्तों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखते हैं।
यात्रा: मंदिर की यात्रा पैदल चलकर या वाहन से की जा सकती है। यात्री जो पैदल जाते हैं, वे अपनी भक्ति और तपस्या के दौरान जल, फूल, और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं। यह यात्रा उनके लिए आध्यात्मिक अनुभव का सफर होता है।
धार्मिकता और यात्रा:
भारत में धर्म और यात्रा का विशेष महत्व है। लाखों लोग प्रतिवर्ष अपने धार्मिक स्थलों की यात्रा पर निकलते हैं, जो उनके आध्यात्मिक आदर्शों को समर्पित होते हैं। यह यात्राएँ उनके जीवन में आध्यात्मिकता और शांति की अनुभूति प्रदान करती हैं। इसलिए उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित यह धार्मिक स्थल भी एक महत्वपूर्ण स्थल माने जाते हैं, जो किसी के धार्मिक और आध्यात्मिक अवसरों के लिए प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ हैं।
घंटाकर्ण धाम के विशेष तथ्य:
- महादेव की प्रतिमा: घंटाकर्ण धाम में एक लगभग 150 फीट ऊंची महादेव की प्रतिमा है, जिसका विशेष महत्व है। मंदिर के पूजारी और यात्री यहाँ पर महादेव की प्रतिमा की पूजा करते हैं और उनकी आराधना करते हैं। मंदिर की प्रतिमा प्राचीन कला और शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है, और यह आपको अपने अद्वितीय डिज़ाइन के लिए प्रभावित करेगी।
- पवित्र झील: घंटाकर्ण धाम के पास एक पवित्र झील है, जिसे 'घंटाकर्ण झील' के नाम से जाना जाता है। यह झील यात्रीगण के लिए एक पवित्र स्नान स्थल है, और यहाँ आने वाले लोग इस झील में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
- तपस्या और आध्यात्मिकता: घंटाकर्ण धाम क्षेत्र में यहाँ के यात्री अपने जीवन को आध्यात्मिक तपस्या की ओर मोड़ते हैं। यहाँ के पूजारी और आध्यात्मिक गुरु शिक्षा देते हैं और यात्रीगण को आत्मज्ञान की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। तपस्या के साथ यहाँ के यात्री अपने जीवन को एक नई दिशा देते हैं और आत्मा को शांति का अनुभव करते हैं।
जाने Ghandiyal Devta मंदिर के महत्व के बारे में कुछ और महत्वपूर्ण बातें:
- मान्यता है कि Ghandiyal Devta मंदिर की यात्रा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए लोग विशेष अवसरों पर इस मंदिर की यात्रा करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ध्यान और भक्ति के साथ आते हैं।
- मंदिर के पास ही एक खड़का है, जिसे 'खड़का देवता' के नाम से जाना जाता है। यह भी एक प्रमुख देवता है और वहाँ के लोग भी उनका पूजा-अर्चना करते हैं।
- मंदिर के पास ही एक धर्मशाला भी है, जिसमें आने वाले भक्त रात बिता सकते हैं। धर्मशाला में बुने बिस्तर, शौचालय, और रसोईघर की सुविधा होती है।
- मंदिर के पास ही एक विद्यालय भी है, जहाँ विधायिका प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करते हैं।
- मंदिर के पास ही एक बड़ी सब्जी मंडी है, जहाँ स्थानीय उत्पादों की खरीदारी की जा सकती है।
see more : घण्डियाल देवता की जात की विडिओ देखने के लिए यहां पर क्लिक करें
मंदिर के अतिरिक्त, यहाँ के लोग अपने पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाज को भी महत्व देते हैं। मंदिर में आयोजित विशेष पूजा-अर्चना के दौरान स्थानीय लोग अपने पारंपरिक गान-नृत्य का प्रदर्शन करते हैं और अपने संस्कृति को सजीव रूप में दिखाते हैं।
मंदिर के पास ही एक छगन, जिसे 'छगण देवता' कहते हैं, का मंदिर भी है, और वहाँ के लोग भी उनका पूजा-अर्चना करते हैं।
ऐसी मान्यता है की घण्डियाल देवता के दर्शन करने के बाद माँ करणी देवी के दर्शन को जाते हैं ,यह मंदिर भी गजा से आगे चाका पोखरी से कुछ की दुरी पर है।
अब कुछ UNTOLD
जिसे कोई ना समझ पाया वो किरदार हूं,...
अंधेरे बस्ती में ओ जगता चिराग हूं..🌹
काले बादलों के छटा बीच ओ प्रकाश हुं...
घने कोहरे को चीरती ओ रोशनी की किरण हूं...🌹
प्यासी धरती पर बारिश की पड़ी ओ पहली बूंद हुं...
धरती से उत्पन्न हुई ओ सोंधी महक हुं 🌹।।।