> Maa Kalinka Devi- माँ कालिंका देवी मंदिर बटखेम नया टिहरी

Maa Kalinka Devi- माँ कालिंका देवी मंदिर बटखेम नया टिहरी

भारत के उत्तराखंड राज्य को उसकी प्राकृतिक सौन्दर्य और धार्मिक समृद्धि के लिए जाना जाता है। यहां के मान्यता के अनुसार अनेक मंदिर और तीर्थ स्थल हैं, जिनमें से एक है - Maa kalinka Devi , जो बथखेम नया  टिहरी उत्तराखंड में स्थित है। इस मंदिर को माँ कालिंका का सिद्धपीठ माना जाता है और यह उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। माँ कालिंका देवी को शक्ति की देवी माना जाता है और उनके भक्तों का मानना है कि वह उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं,इस लेख में, हम इस प्राचीन मंदिर और इसके प्रासंगिकता के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। 


Maa Kalinka Devi- माँ कालिंका देवी मंदिर बटखेम नया टिहरी

Maa Kalinka Devi :माँ कालिंका देवी का बटखेम मंदिर, नया टिहरी, उत्तराखंड


बथखेम एक छोटा सा गाँव है, जो उत्तराखंड के नया  टिहरी गाँव क्षेत्र में स्थित है। यह गाँव गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है और विश्वास के अनुसार यहीं पर कालिंका देवी मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना कालिंका माता के समर्पण के रूप में की गई थी, जो देवी के रूप में पूजी जाती है।

कालिंका देवी मंदिर का महत्व:


Maa Kalinka Devi मंदिर उत्तराखंड में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और यह ग्रामीण जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां के लोग इस मंदिर को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं और इसे मानसिक और आध्यात्मिक आदर से देखते हैं।


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 प्रत्येक रविवार को लगता है माता का दरबार :


Maa Kalinka Devi  की डोली प्रत्येक  रविवार को नाचती है ,उस दिन भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है ,सभी भक्त अपने अपने दुःख दर्द को माँ की डोली के सामने रखते हैं। माँ सबकी पीड़ा का निवारण करती है। माँ कालिंका गावं के ही एक आदमी के अंदर प्रवेश करती है जिसे पस्वा कहा जाता है ,उनके माध्यम से ही भक्तों के दुःख दर्द दूर होते हैं। 


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चंद सेकंडो में ही उग जाती है हरियाली :


माँ कालिंका के पस्वा कुछ ही सेकड़ो में अपने हाथ की हथेली में चावल से हरियाली उगा देते हैं ,ये माँ कालिंका देवी के चमत्कार से ही संभव हो पाता है। माँ कालिंका की डोली भक्तों के ज़वाब दीवार में लिखकर देती है ,उसे पस्वा ही समझ पाते हैं ,और भक्तों को समझाते हैं। 


कालिंका देवी मंदिर के पर्यावरण:


Maa Kalinka Devi  मंदिर का पर्यावरण बहुत ही प्राकृतिक और सुंदर है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है, और यहां के वातावरण की शांति और सौन्दर्य को देखकर आप वास्थय से प्राप्त हो जाएंगे। इस स्थल पर पहुंचकर, आपका मन शांत हो जाता है और आप ध्यान में लिपट जाते हैं।


कालिंका देवी मंदिर की विशेषताएँ:


 Maa Kalinka Devi मंदिर की विशेषता इसके विशाल दरबार और धार्मिक महत्व में है। इस मंदिर का दरबार बहुत ही आकर्षक है और यहां के प्रागैतिहासिक मूर्तियाँ दर्शाने के लिए हैं। यह मंदिर हर साल अनेक भक्तों को आकर्षित करता है और यहां के धार्मिक आयोजनों का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है। बटखेम मंदिर में माँ कालिंका देवी की एक प्राचीन मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति में माँ कालिंका देवी को शेर पर सवार होकर दिखाया गया है। देवी के हाथों में त्रिशूल, खड्ग और कपाल हैं। मंदिर के गर्भगृह में देवी की मूर्ति के साथ-साथ शिवलिंग और नंदी की मूर्ति भी स्थापित है। बटखेम मंदिर की एक विशेषता यह है कि इस मंदिर में माँ कालिंका देवी की डोली नृत्य किया जाता है। यह नृत्य हर साल नवरात्रि के पर्व पर किया जाता है। इस नृत्य में माँ कालिंका देवी की डोली को मंदिर परिसर में ले जाया जाता है और भक्तों के सामने नृत्य करवाया जाता है। माना जाता है कि इस नृत्य को देखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


Maa Kalinka Devi- माँ कालिंका देवी मंदिर बटखेम नया टिहरी

बटखेम मंदिर में पूजा-अर्चना:


बटखेम मंदिर में, पूजा-अर्चना सुबह से शाम तक विशेषतः विशेष आसीर्वादों के साथ होती है। यहाँ के भक्त भगवान माँ कालिंका देवी को नारियल, फूल, माला, और अन्य पूजा सामग्री से सजाकर उन्हें अर्पित करते हैं। मंदिर प्रबंधन द्वारा भक्तों के लिए प्रसाद की भी विशेष व्यवस्था है, जिससे सभी भक्त आत्मनिर्भरता और समर्थन का आनंद लेते हैं।


बटखेम मंदिर की मान्यताएँ:


बटखेम मंदिर के बारे में कई मान्यताएँ प्रचलित हैं। माना जाता है कि इस मंदिर में  Maa Kalinka Devi  स्वयं निवास करती हैं। भक्तों का मानना है कि माँ कालिंका देवी उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।


Maa Kalinka Devi- माँ कालिंका देवी मंदिर बटखेम नया टिहरी


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बटखेम मंदिर में, विशेषकर निसंतान दंपतियों की समृद्धि की प्राप्ति के लिए एक विशेष भीड़ आती है। मान्यता है कि माँ कालिंका देवी निसंतान दंपतियों को संतान प्रदान करती हैं और इस प्रकार उनके जीवन में नई सुख-संपत्ति की शुरुआत होती है। साथ ही, भक्तों का मानना है कि माँ कालिंका देवी अपनी कृपा से सेहत, धन, और सुख-समृद्धि की वर्षा करती हैं।

बटखेम मंदिर तक कैसे पहुँचें:


बटखेम मंदिर उत्तराखंड के नया टिहरी जिले में स्थित है, यह मंदिर नया टिहरी शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर है। नया टिहरी से बटखेम मंदिर के लिए टैक्सी या बस से आसानी से पहुँचा जा सकता है और ऋषिकेश से आते हुए चम्बा बाजार से कुछ ही दुरी लगभग 5  किलोमीटर पर ही स्थित है ।

Maa Kalinka Devi- माँ कालिंका देवी मंदिर बटखेम नया टिहरी

बटखेम मंदिर में ठहरने की व्यवस्था:


बटखेम मंदिर के पास ही कई होटल और गेस्ट हाउस हैं, जहाँ भक्त ठहर सकते हैं। इसके अलावा, मंदिर परिसर में भी कुछ धर्मशालाएँ हैं, जहाँ भक्त निःशुल्क ठहर सकते हैं।


बटखेम मंदिर में घूमने-फिरने की जगहें:


बटखेम मंदिर के आसपास कई घूमने-फिरने की जगहें हैं। इनमें से कुछ प्रमुख जगहें निम्नलिखित हैं:


  • नया टिहरी: नया टिहरी उत्तराखंड का एक खूबसूरत शहर है। यह शहर टिहरी जलाशय के किनारे पर स्थित है। नया टिहरी में भक्त घूमने-फिरने के लिए आते हैं । 

  • दूधधारी धाम: दूधधारी धाम बटखेम मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। दूधधारी धाम में एक प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर से बर्फ से ढकी पहाड़ियों के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं।


  • विश्वनाथ धाम: विश्वनाथ धाम बटखेम मंदिर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। विश्वनाथ धाम में एक प्राचीन शिवलिंग और देवी पार्वती की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर से भी बर्फ से ढकी पहाड़ियों के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं।


  • सुरकंडा देवी मंदिर: सुरकंडा देवी मंदिर बटखेम मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर देवी सती के सतीत्व का प्रतीक माना जाता है। सुरकंडा देवी मंदिर उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है।


  • चम्बा बाजार : कुछ ही दुरी पर प्रशिद्ध चम्बा बाजार है ,जहां पर्यटकों की आवाजही  होती रहती है ,इसका मुख्या कारण चम्बा बाजार टिहरी गढ़वाल के केंद्र पर बसा हुआ है। 


  • टिहरी झील : गढ़वाल का मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है ,यह चम्बा से 25 किलोमीटर दूर कोटिकलोनी के पास में है।


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बटखेम मंदिर की यात्रा के लिए टिप्स:


  • बटखेम मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय नवरात्रि का पर्व है। इस समय मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है और भक्तों की भीड़ रहती है।


  • बटखेम मंदिर की यात्रा के लिए ऊनी कपड़े साथ लाना न भूलें। बटखेम मंदिर समुद्र तल से ऊँची जगह पर स्थित है और यहाँ का मौसम ठंडा रहता है।


  • बटखेम मंदिर में प्रसाद की व्यवस्था है, लेकिन अगर आप अपने साथ प्रसाद लाना चाहते हैं तो ला सकते हैं।


  • बटखेम मंदिर परिसर में ही कुछ धर्मशालाएँ हैं, जहाँ भक्त निःशुल्क ठहर सकते हैं। अगर आप धर्मशाला में ठहरना चाहते हैं तो पहले से बुकिंग करवा लेना बेहतर है।


Maa Kalinka Devi mandir उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर माँ कालिंका देवी को समर्पित है और भक्तों का मानना है कि माँ कालिंका देवी उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। बटखेम मंदिर के आसपास कई घूमने-फिरने की जगहें भी हैं। अगर आप उत्तराखंड की यात्रा कर रहे हैं तो बटखेम मंदिर जरूर जाएँ।


अब कुछ  UNTOLD


 निकले हम "दुनिया" की भीड़ 🌹🌹

में तो पता चला..🌹

हर वो इंसान "अकेला" है ..🌹

जो दूसरों पर भरोसा करता है..🌹🌹

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