नवरात्रि, भारतीय हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, यह माँ दुर्गा की पूजा और महिषासुर के वध के उपलक्ष्य में आयोजित होता है। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और नौ दिनों तक चलता है, यह साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि, यह हिन्दू परंपरा में शक्ति पूजा का अद्वितीय रूप है ,और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है,चारों तरफ़ इन दिनों पुरे देश में बड़ी रौनक दिखती है। Navratri Day 2023 भी गत वर्षो की भांति पूरे रीति रिवाजों के साथ मनाया जा रहा है। इस लेख में, हम नवरात्रि के महत्व, इसका इतिहास, पूजा के तरीके, और नवरात्रि का महत्व बताएंगे।
Navratri Day 2023: नवरात्रि पर्व देवी दुर्गा के समर्पण में आयोजित नौ दिनों का उत्सव
नवरात्रि के नौ दिन ,नौ देवियों की पूजा करके भक्त देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हैं, और अपने जीवन में खुशियों और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं., यह त्योहार भक्तों के लिए आध्यात्मिक जागरूकता और सद्गुणों का विकास का मौका प्रदान करता है ,और समाज में सामंजस्य, सौहार्द, और सद्भावना की भावना को बढ़ावा देता है। नवरात्रि एक सामर्थ्य और सजीव त्योहार है, जो हिन्दू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारतीय समाज में आत्म-समर्पण और भक्ति की भावना को प्रकट करता है।
नवरात्रि का महत्व:
नवरात्रि का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस त्योहार का आयोजन नौ दिनों तक किया जाता है ,और हर दिन किसी देवी की पूजा की जाती है। यह त्योहार महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि इसके दौरान वे देवी दुर्गा की पूजा करके अपनी शक्ति की प्राप्ति करती हैं। यह त्योहार धर्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है ,और भारतीय संस्कृति में गौरव के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा के आवागमन की घोषणा करता है। दुर्गा देवी हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण देवी हैं, जिनका सार्वभौमिक और शक्तिशाली स्वरूप है। वह दुष्टों और बुराई से लड़ने की देवी मानी जाती है, और उनकी पूजा से भक्त शक्ति और साहस की प्राप्ति करते हैं।
नवरात्रि के प्रकार:
नवरात्रि दो प्रकार से मनाई जाती है - चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि।
चैत्र नवरात्रि - चैत्र नवरात्रि मार्च-अप्रैल के महीनों में मनाई जाती है। इसका आयोजन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन से शुरू होकर नौ दिन तक चलता है। इसके दौरान लोग मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी, और मां सिद्धिदात्री की पूजा करते है।
शरद नवरात्रि - शरद नवरात्रि सितंबर-अक्टूबर के महीनों में मनाई जाती है और यह त्योहार सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त करता है। इसका आयोजन आश्वयुज मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन से शुरू होता है और नौ दिन तक चलता है। इसके दौरान भगवान दुर्गा की पूजा की जाती है, और लोग नौ दिनों तक उपवास और पूजा करते हैं।
नवरात्रि का इतिहास:
नवरात्रि का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कथाएँ और इतिहासिक घटनाएँ हैं।
मां दुर्गा के अवतार:
नवरात्रि के महत्वपूर्ण घटना मां दुर्गा के अवतार की है। यह कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है।कथा के अनुसार, एक समय परमेश्वर की भयंकर शक्ति, महिषासुर, पृथ्वी पर अत्याधिक अत्याचार कर रहा था। उसकी अद्वितीय शक्ति के कारण वह अपने आप को अमर और अपराजयी मान लेता था। उसके अत्याचार से परेशान भगवान और देवताएँ निरंतर दुखी थे। दुखों के बावजूद, एक दिन ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर ने मिलकर एक अद्वितीय शक्ति का अवतार लिया और वह शक्ति महिषासुर का संहार करने के लिए पृथ्वी पर आई। वह शक्ति थी मां दुर्गा, और वह पूरी भयंकर और सुंदर रूप में प्रकट हुई। मां दुर्गा ने अपने भयंकर रूप के साथ महिषासुर के खिलाफ युद्ध किया और उसे मार गिराया। इस घड़ी में मां दुर्गा ने अपनी आदिशक्ति का प्रतीक भी खोला, जिससे उसके दिव्य शक्ति का प्रदर्शन हुआ। मां दुर्गा ने महिषासुर को मारकर उसकी अत्याधिकता को खत्म किया और धर्म की रक्षा की।
इस घटना के बाद, नवरात्रि का आयोजन हर साल मां दुर्गा के अवतार की जयंती के रूप में किया जाने लगा और इसे "दुर्गा पूजा" या "नवरात्रि" कहा गया।
नवरात्रि के दौरान की रस्में:Navratri Day 2023
नवरात्रि के दौरान कई रस्में और पूजा क्रियाएँ की जाती हैं, जो इस त्योहार को और भी धार्मिक और अर्थपूर्ण बनाती हैं।
1.नवरात्रि की महिमा - नवरात्रि के पहले दिन, एक कलश को सजाकर गृह में स्थापित किया जाता है। इस कलश में पानी, गंध, फूल, और नौ दिनों के लिए अन्न भरे जाते हैं, और यह कलश देवी के आगमन का प्रतीक होता है।
2. घट स्थापना - घट स्थापना भी नवरात्रि के पहले दिन की एक महत्वपूर्ण रस्मा है। एक छोटे से मिट्टी के घट को एक धार पर रखकर इसमें जल डाला जाता है, और यह घट पूजा का हिस्सा बनता है।
3. देवी की पूजा - नवरात्रि के दौरान, देवी की पूजा का विशेष महत्व होता है। नौ दिनों के दौरान, विशेष रूप में देवी की पूजा की जाती है, और प्रतिदिन उनके विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है।
4. कन्या पूजा - नवरात्रि के आखिरी दिन, कन्या पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें नौ युवा कन्याओं को भोजन किया जाता है और उनके पांव धोकर आशीर्वाद प्राप्त किए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य नवरात्रि की देवी की शक्ति को प्रतिष्ठित करना है।
नवरात्रि की महिमा:
नवरात्रि का महत्व निम्नलिखित कारणों से होता है:
1.आध्यात्मिक महत्व: नवरात्रि एक आध्यात्मिक अवसर है जो भक्तों को देवी दुर्गा की पूजा, अर्चना, और जाप के माध्यम से आपकी आत्मा को पवित्र और शुद्ध बनाने का मौका प्रदान करता है, यह नौ दिन की तपस्या और ध्यान के द्वारा आपकी आत्मा को पवित्र करता है ,और आपको धार्मिकता की ओर आकर्षित करता है।
2.आधिकारिक त्योहार: नवरात्रि भारतीय पंचांग में एक आधिकारिक त्योहार है, और इसके दौरान सरकारी छुट्टीयाँ और आयोजन आयोजित की जाती हैं,यह त्योहार भारतीय समाज में अधिकतम मान्यता और समर्थन प्राप्त करता है।
3.धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व: नवरात्रि का महत्व देवी दुर्गा के अवतार की जयंती के रूप में है, जब वह महिषासुर जैसे असुर का संहार करने आई थी. यह त्योहार दर्शाता है कि धर्म और सत्य की रक्षा हमेशा होती है, और बुराई का संहार किसी भी कीमत पर किया जाना चाहिए।
4.सामाजिक महत्व: नवरात्रि त्योहार एक अवसर है जब परिवार और समाज के सदस्य एक साथ आकर्षित होते हैं,लोग एक-दूसरे के साथ देवी की पूजा करते हैं, व्रत का पालन करते हैं, और साझा खाने का आनंद लेते हैं,यह सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा देता है ,और लोगों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण को प्रोत्साहित करता है।
5.महिलाशक्ति को प्रमोट करना: नवरात्रि के दौरान कन्या पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें नौ युवा कन्याएं पूजा की जाती हैं, इससे महिलाशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रमोट किया जाता है और लड़कियों को बेटे के रूप में स्वागत किया जाता है,यह समाज में महिलाओं की सामाजिक स्थिति को मजबूत करता है और महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रमोशन करता है।
6.राजा-महाराजों का त्योहार: नवरात्रि का महत्व भारतीय राजा-महाराजों के लिए भी था, क्योंकि यह एक अवसर था जब वे अपने राज्य के लोगों के साथ त्योहार मनाते थे, राजा अपने प्रजा के साथ मिलकर देवी की पूजा करते थे और उनके दरबार में विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते थे।
7.शक्ति की पूजा: नवरात्रि एक अवसर है जब देवी दुर्गा की शक्ति, साहस, और साहस की पूजा की जाती है,यह त्योहार लोगों को शक्ति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति की आशा दिलाता है और उन्हें जीवन के चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है।
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नवरात्रि के 9 दिन - नौ दिनों की धार्मिक महापर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा:
नवरात्रि, हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विभिन्न भागों में मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन होते हैं, और हर दिन को विशेषत: मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी, और मां सिद्धिदात्री के रूप में पूजा जाता है। इन नौ दिनों का महत्व और उनके साथ जुड़ी जानकारी निम्नलिखित है:
1. पहला दिन - मां शैलपुत्री का व्रत
- पहले दिन को मां शैलपुत्री की पूजा के साथ मनाया जाता है।
- इसका आराधना स्वस्तिक और श्वेत फूलों के साथ किया जाता है।
- भगवान शिव की पूजा भी की जाती है, क्योंकि मां शैलपुत्री उनकी पत्नी हैं।
2. दूसरा दिन - मां ब्रह्मचारिणी का व्रत
- इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जो तपस्या और ब्रह्मचर्य की प्रतीक हैं।
- भक्त उनकी पूजा करने के लिए कुछ विद्या पुस्तकों को पूजते हैं।
3. तीसरा दिन - मां चंद्रघंटा का व्रत
- तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जिनके दस्तानों पर चंद्रमा की प्रतीक्षा होती है।
- इसका आराधना खीर और चांदी के चांद जैसे प्रतीकों के साथ किया जाता है।
4. चौथा दिन - मां कुष्मांडा का व्रत
- चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है, जिनके पैरों पर सिंह का चिन्ह होता है।
- उनकी पूजा में कद्दू का प्रसाद चढ़ाता है।
5. पांचवा दिन - मां स्कंदमाता का व्रत
- पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो स्कंद (कार्तिकेय) की मां हैं।
- उनकी पूजा के साथ बालक कुमार को भी पूजा जाता है।
6. छठा दिन - मां कात्यायनी का व्रत
- इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा की अवतार हैं।
- उनकी पूजा के साथ बाजारों में खेतों की सजाई दिखाई देती हैं, जहाँ खिचड़ी और चना बनाकर पूजा के रूप में खिलाई जाती है।
7. सातवां दिन - मां कालरात्रि का व्रत
-सातवां दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो एक भयंकर रूप में होती हैं।
-उनकी पूजा में काली हलवा बनाकर चढ़ाता है, जिसमें चना और गुड़ भी होता है।
8. आठवां दिन - मां महागौरी का व्रत
-आठवां दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो एक पवित्र और पुण्यवती रूप में होती हैं।
-उनकी पूजा के साथ दूध और फूल के फूलों का प्रसाद चढ़ाता है।
9. नौवां दिन - मां सिद्धिदात्री का व्रत
-नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जिन्हें सिद्धि और वरदान की देवी कहा जाता है।
-उनकी पूजा के साथ, पूरी और मिष्ठान के प्रसाद का आयोजन किया जाता है।
इन नौ दिनों के दौरान, भक्त नियमित रूप से उपवास करते हैं और देवी की पूजा करते हैं, यह त्योहार धार्मिक महत्व के साथ-साथ परिवार और समाज के बीच एक अद्वितीय और आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक भी है, इसके द्वारा भक्त देवी की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करते हैं ,और अपने जीवन को सुखमय और सफल बनाने की प्रार्थना करते हैं।
रात्रि के दौरान, भक्त ध्यान, जाप, और अनुष्ठान करते हैं, और देवी की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। उपवास के दौरान भोजन का त्याग किया जाता है, और केवल व्रती आहार खाते हैं, जैसे कि साबूदाना, फल, और दूध. नवरात्रि का आयोजन प्रसाद के रूप में होता है, और इसे समाज के सदस्यों के साथ बाँटा जाता है, जिससे भाग्यशाली और खुश जीवन की कामना की जाती है,नवरात्रि एक सामर्थ्य और सजीव त्योहार है, जो हिन्दू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भारतीय समाज में आत्म-समर्पण और भक्ति की भावना को प्रकट करता है। Navratri Day 2023 के साल में भक्तों के अंदर हर्षोउल्लाश देखने को मिल रहा है।
🌹अब कुछ UNTOLD
इसलिए नहीं दिया सब को सब ...!🌹
नज़र का धोखा ही रहा होगा 🤔....
वरना दिल तो हमेशा मैला ही था....❤️
शिकायत भी उसी से करता...🌹
जो खुद अर्जी पर था....🙄