विश्व मौसम संगठन (WMO) ने हाल ही में जारी किए गए रिपोर्ट में बताया है कि हिमनदियां दसकों से कम हो रही हैं और इसका सीधा प्रभाव हमारे पृथ्वी के जलवायु पर हो रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दसक में हर वर्ष हिमनदियों का आकार 1 मीटर घटा है। यह गंभीर संकेत है कि जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप हिमनदियां तेजी से घट रही हैं, जो भूमि और समुद्र क्षेत्रों के लिए सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पैदा कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन इसमें मुख्य योगदानी देने वाला कारण है, जिससे हिमनदियों की घातकता में इजाफा हो रहा है। गर्मी के तापमान में बदलाव, बर्फ की ताजगी का हानि, और Glaciers के पिघलने में वृद्धि के कारण हिमनदियों का आकार घट रहा है।
Glaciers की घातक घटना: एक दशक में सालाना 1 मीटर की कमी, WMO की रिपोर्ट से साबित होती है
हिमनदियां एक महत्वपूर्ण पृष्ठीय स्रोत हैं जो हमारे पृथ्वी के स्थिति को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं। वे बर्फ से भरी शीतल स्थल हैं जो गर्मियों में घुलकर समुद्रों को यात्रा करती हैं और नदियों को भर देती हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि इन हिमनदियों की स्थिति में गंभीर समस्याएं हो रही हैं जो भविष्य में हमारे लिए समस्त संप्रदायों को प्रभावित कर सकती हैं।
Glaciers पृथ्वी के स्वास्थ्य का अभिन्न हिस्सा। ये बर्फ से भरी होती हैं और गर्मियों में नदियों को जल से समृद्धि प्रदान करने का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ये हिमनदियां न केवल अपने स्थानीय आवासियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पूरे प्लैनेट के जलवायु को भी नियंत्रित करने में मदद करती हैं। इस रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि इस विशेष दशक में हर साल हिमनदियों का आकार 1 मीटर से घटा है, जो पृथ्वी के जलवायु पर बड़ा प्रभाव डाल रहा है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
Glaciers का यह तेजी से घटता आकार जलवायु परिवर्तन के सीधे प्रमुख प्रभाव का सूचक है। वैसे तो हिमनदियों का सांझा स्रोत हैं लेकिन इस तेजी से घटते आकार के कारण, इनकी पूरी ताकत में कमी हो रही है और इसके परिणामस्वरूप बारिश, समुद्र स्तर, और जलवायु में बदलाव हो रहा है। इस प्राकृतिक परिवर्तन ने ही नहीं, बल्कि मानव समाज के लिए भी एक बड़ी रूप से चुनौती पैदा की है, जिससे कई व्यक्तिगत और सामाजिक पहलुओं पर प्रभाव दिखाई दे रहा है।
संभावित प्रभाव:
बढ़ते हुए जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों में शामिल हो रही ग्लेशियर्स की कमी, बाढ़, और समुद्र स्तर की वृद्धि को लेकर हम एक नए संदर्भ में विचार कर रहे हैं। यह साफ रूप से दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन ने प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ मानव समाज को भी अभूतपूर्व तरीके से प्रभावित किया है। इस मायने में, हम देख सकते हैं कि लोगों को अपनी जीवनशैली में सुधार करने के लिए उनके साथ मिलकर उनका सहयोग करना होगा, ताकि सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय परिवर्तनों की स्थिति मजबूती से प्रभावित हो सके।
रिपोर्ट: वैश्विक जलवायु 2011-2020 - तेजी से बढ़ने वाले दशक का अनुभव
हाल ही में जारी की गई "ग्लोबल क्लाइमेट 2011-2020: एक तेजी से बढ़ने वाले दशक" रिपोर्ट से हम यह जानते हैं कि इस दशक में दुनिया ने कई मौसमी तथा जलवायु संरक्षण के कदम उठाए हैं, जिससे इसे एक इतिहास में अद्वितीय दशक बना दिया गया है। इस दौरान किसी भी ऐसे घटने में 10,000 से अधिक की मौत नहीं हुई है, जो सामाजिक सांझा विज्ञान के रिकॉर्ड को चुनौती देने वाली एक बड़ी उपलब्धि है।
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इस रिपोर्ट से हम जानते हैं कि दुनिया ने इस दशक में हर साल हिमनदियों की साइज़ को 1 मीटर से घटते हुए देखा है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सुधारने की कदम से बड़ा परिणाम हो सकता है। यह सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों को सुरक्षित रखने के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रति विश्व की जिम्मेदारी में सकारात्मक पहलू को दिखाता है।
WMO की इस रिपोर्ट से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमारे समुद्रों और जलवायु के साथ सही से संबंधित रहना महत्वपूर्ण है। हमें इस चुनौती का सामना करने के लिए एक समृद्धि और प्रकृति से सहमतीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना होगा ताकि हम भविष्य में इसे सही से प्रबंधित कर सकें और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित जीवन सुनिश्चित कर सकें।