> Mahua Moitra: लाखों महिलाओं की प्रेरणा स्रोत

Mahua Moitra: लाखों महिलाओं की प्रेरणा स्रोत

महुआ मोइत्रा, तृणमूल कांग्रेस की सांसद, की कैश फॉर क्वेरी मामले में संसदीय अनुशासन समिति की रिपोर्ट के आधार पर उनकी सांसदीय पद रद्द कर दी गई है। शुक्रवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इस प्रस्ताव को ध्वनिमति से मंजूरी देकर मोइत्रा को संसद से निकाल दिया है।, विपक्षी इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं ,तो वहीं बीजेपी आरोप लगा रही है कि सांसद  Mahua Moitra ने विशेषाधिकार का गलत उपयोग किया है। 

महुआ मोइत्रा ( Mahua Moitra) को संसद से निकालने पर: एक सच्चाई या अन्याय?

पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से चुनी गई टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर दो संगीन आरोप लगे थे। पहला आरोप था कि 2019-23 के बीच महुआ मोइत्रा के लॉगिन से 61 बार सवाल पूछा गया, जिसका महुआ द्वारा दर्शन हीरानंदानी से कोई संबंध नहीं था। दूसरा आरोप था कि महुआ ने संवेदनशील जानकारियों वाला संसदीय लॉग इन आईडी और पासवर्ड दूसरे व्यक्ति को प्रदान किया था। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की ओर से दी गई लिखित शिकायत के आधार पर संसद की एथिक्स कमेटी ने इसे संज्ञान में लिया।


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नैतिकता समिति की रिपोर्ट:

नैतिकता समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मोइत्रा ने संसद के नियमों का उल्लंघन किया और इसके परिणामस्वरूप उन्हें संसद से बाहर करने का सुझाव दिया।


मोइत्रा की पक्ष से:

मोइत्रा ने इस निर्णय के खिलाफ अपने पक्ष को साझा करते हुए कहा कि वे इसमें से असहमत हैं और इसे न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से जांचने की मांग कर रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें निष्पक्षता से सुनिश्चित किया जाना चाहिए और उन्हें मौका देना चाहिए अपनी दिक्कतों को साझा करने का।


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न्यायिक मुकदमा:

महुआ मोइत्रा ने न्यायिक मुकदमे की दिशा में कदम बढ़ाया है, जिससे उन्हें इस निर्णय को न्यायिक दृष्टिकोण से समीक्षा करने का अधिकार है


संसद के अंदरीय अपील:

अगर वह चाहें, तो संसद की आंतरिक आपत्ति प्रक्रिया में भी उन्हें अच्छे समय पर अपना स्थान बनाने का एक सुनहरा अवसर मिल सकता है।



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लाखों महिलाओं की प्रेरणा स्रोत महुआ मोइत्रा :

2019 के भारतीय आम चुनावों में, महुआ मोइत्रा ने अपने योगदान से तृणमूल कांग्रेस (AITC) पार्टी के उम्मीदवार के रूप में महत्वपूर्ण जीत हासिल की। 2016 से 2019 तक, करीमपुर क्षेत्र के प्रतिनिधित्व में, पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य के रूप में, उन्होंने विशेषज्ञता से सेवा की, जबकि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों से अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में भी सेवाएं दीं। राजनीति में पहले, उन्होंने अपने निवेश बैंकिंग के क्षेत्र में अपने कार्य से अपना पहचान बनाई थी।


जन्म:

5 मई 1976 कोलकाता, पश्चिम बंगाल में, मेजर मोइत्रा और द्विपेंद्र लाल मोइत्रा के यहाँ महुआ मोइत्रा का जन्म हुआ।

शिक्षा:

महुआ मोइत्रा ने कोलकाता में स्कूल की पढ़ाई की और फिर माउंट होलीक कॉलेज, साउथ हैडली, मेसाचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका से अर्थशास्त्र और गणित में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।


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प्रारंभिक जीवन:

Mahua Moitra का शुरुआती जीवन असम और कोलकाता में बीता लेकिन 15 साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गईं, उसके बाद, अर्थशास्त्र में अपनी पढ़ाई पूरी की और उन्होंने न्यूयॉर्क में एक बैंकर की नौकरी शुरू की | उन्होंने न्यूयॉर्क और लंदन में जेपी मॉर्गन चेज के लिए एक निवेश बैंकर के रूप में काम किया।


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राजनितिक करियर:

2009 में, उन्होंने लंदन में जेपी मॉर्गन चेज के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर भारतीय राजनीति में कदम रखा। इसके पश्चात, उन्होंने भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय किया, जहां उन्होंने 2010 में "आम आदमी का सिपाही" परियोजना में राहुल गांधी के अधीन सेवाएं दीं। 2016 में वह पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के करीमपुर चुनाव क्षेत्र से विधानसभा चुनावों में चयनित हुईं और 2019 में उन्होंने कृष्णानगर से 17वीं लोकसभा के लिए सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया।, 13 नवंबर 2021 को, 2022 में, उन्हें गोवा विधानसभा चुनाव के लिए टीएमसी पार्टी के गोवा प्रभारी के रूप में चुना गया।


निजी जीवन:

Mahua Moitra एक बंगाली हिंदू ब्राह्मण परिवार से है। उनकी कोलकाता में एक बहुसांस्कृतिक परवरिश हुई, उनके पड़ोसी पारसी थे और उन्होंने उनके साथ नॉरूज़ मनाया। वह डेनमार्क में रही, उसके पूर्व पति डेनिश फाइनेंसर लार्स ब्रोरसन थे।(danish financier lars brorson)


इस सार्वजनिक विचार के मुद्दे पर आक्षेपशील विचारधारा का सामना करते हुए, हम आत्मसात करते हैं कि  Mahua Moitra  को संसद से निकाला जाना केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और लोकतंत्र के प्रति हमारे विश्वास की चुनौती भी है।

मोइत्रा ने अपने वक्तव्यों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक बहस को बढ़ावा दिया और उन्होंने अपने दृष्टिकोण को स्पष्टता से प्रस्तुत किया। उनका समर्पण और वीरता ने उन्हें एक अनूठा स्थान हासिल करने की दिशा में प्रेरित किया है।


हालांकि, संसद से निकाले जाने का निर्णय उचित या अच्छा हो, यह सवाल हमें हमारे लोकतंत्र की स्वस्थता पर विचार करने के लिए मजबूर करता है। न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से सुनिश्चित होना चाहिए कि कोई भी निर्णय न्यायसंगत और विवेकपूर्ण हो, ताकि जनता का भरोसा बना रहे और लोकतंत्र के मूल तत्वो की सुरक्षा हो


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